कुवैत ने दिया बड़ा ऐलान: 2030 तक विदेशी जजों को हटाएगा, भारतीयों पर पड़ेगा असर

नई दिल्ली

मध्य-पूर्व का इस्लामिक देश कुवैत संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राह पर चल पड़ा है. जिस तरीके से यूएई हर क्षेत्र में अमीरातीकरण (नौकरियों में अपने नागरिकों की संख्या बढ़ाना) को बढ़ावा दे रहा है, कुवैत ने भी ऐसी ही पहल शुरू की है. कुवैत के न्याय मंत्री, काउंसलर नासिर अल-सुमैत ने कहा है कि देश की न्यापालिका 2030 तक पूरी तरह से 'Kuwaitized' हो जाएगी. इसका मतलब है कि 2030 तक सभी न्यायिक पदों पर कुवैती लोग होंगे, विदेशियों को जज और सभी न्यायिक पदों से हटा दिया जाएगा.कुवैत की सरकार ने यह फैसला स्थानीय प्रतिभाओं को अवसर देने, देश के पेशेवरों को मजबूती देने और कानूनी क्षेत्र को आधुनिक बनाने के लिए किया है. 

कुवैत अपने न्याय विभागों में बदलाव कर रहा है जिसके तहत ये फैसला लिया गया है. इसके साथ ही स्वतंत्रता और दक्षता को बढ़ावा देने के लिए विधायी सुधार भी किए जा रहे हैं. मध्य-पूर्वी देश के प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर, विशेष रूप से तेल और तकनीकी क्षेत्र से कहा जा रहा है कि वो देश के नागरिकों को अधिक से अधिक संख्या में नौकरी दें.

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पीपुल्स मैटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, मंत्री अल-सुमैत ने कहा कि सभी न्यायिक विभागों के कुवैतीकरण की प्रक्रिया चल रही है जहां विदेशियों की जगह योग्य और कुशल कुवैती प्रोफेशनल्स की भर्ती की जा रही है.

उन्होंने कहा, 'हम इस मामले में फैसला ले चुके हैं और 2030 तक 100% कुवैतीकरण का हमारा टार्गेट है.'

कुवैत का न्याय मंत्रालय यह सुनिश्चित करने की भी पूरी कोशिश में है कि विदेशियों की जगह होने वाली सभी नियुक्तियां और प्रमोशन कुवैती उम्मीदवारों के बीच गुणवत्ता, प्रशिक्षण और काम को लेकर उनकी तत्परता को प्राथमिकता दें.
कुवैत के इन सेक्टरों का पहले ही हो चुका है कुवैतीकरण

कुवैत के कई सेक्टर्स में कुवैतीकरण बहुत पहले से होता आ रहा है. कुवैत के ऑयल सेक्टर के सभी प्रमुख इंजिनियरिंग और टेक्निकल भूमिकाओं में नागरिकों को जगह दी गई है. 2002 में शुरू हुए Manpower Contractors Kuwaitization Initiative के तहत तेल क्षेत्र में कुवैती नागरिकों को उचित वेतन, लाभ और स्थिर रोजगार दिया जाता है.

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2024 तक, कुवैत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (केपीसी) और उसकी सहायक कंपनियों ने कथित तौर पर शीर्ष पदों पर 100% राष्ट्रीय स्टाफिंग हासिल कर ली है यानी सभी शीर्ष पदों पर कुवैत के योग्य नागरिकों को रखा गया है. इन कंपनियों ने कुवैतियों के लिए मुश्किलों को दूर करने, स्थायी नौकरी सुनिश्चित करने और विदेशी स्टाफ पर निर्भरता को धीरे-धीरे खत्म करने के लिए अपने 100% टार्गेट को हासिल कर लिया है.
कुवैत में विदेशियों को नौकरियां मिलनी हुई मुश्किल

कुवैत में विदेशियों को नौकरियां मिलनी अब मुश्किल होती जा रही हैं. जनशक्ति के लिए सार्वजनिक प्राधिकरण ने चिकित्सा, इंजीनियरिंग, कानून, शिक्षा, अकाउंट्स और फाइनेंस जैसे तकनीकी पदों पर विदेशियों की भर्ती काफी सख्त कर दी है. ऐसा इसलिए क्योंकि इन नौकरियों में कुवैत के नागरिकों को प्राथमिकता दी जा रही है.

पहले जहां इन क्षेत्रों में विदेशियों के लिए नौकरी हासिल करना आसान था, वहीं, अब विदेशी उम्मीदवारों को इन नौकरियों के लिए एक ऑनलाइन पेशेवर दक्षता परीक्षा पास करनी पड़ती है. इसके बाद भी आधिकारिक निकायों और विदेश स्थित कुवैती दूतावासों के जरिए, आमतौर पर तीन से पांच सालों के लिए गहन शैक्षणिक और वर्क एक्सपीरिएंस वेरिफिकेशन से गुजरना होता है.
भारतीयों पर क्या होगा कुवैतीकरण का असर?

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गल्फ न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 31 दिसंबर 2024 तक कुवैत में लगभग 10 लाख 7 हजार भारतीय नागरिक रह रहे थे, जो कुल जनसंख्या का लगभग 20% है. 2025 के हालिया आंकड़े बताते हैं कि कुवैत की 5,098,000 की आबादी में 70% लोग प्रवासी हैं, जिनमें से लगभग 29% प्रवासी भारतीय हैं.

साल 2025 की पहली तिमाही की लेबर रिपोर्ट में बताया गया है कि कुवैत में लगभग 884,000 भारतीय कार्यरत हैं. बाकी के भारतीय कुवैत में काम करने वालों के परिवार, आश्रित लोग या फिर छात्र हैं. कुवैत में इतनी बड़ी भारतीय आबादी को देखते हुए कुवैतीकरण का सबसे बड़ा असर भारत पर ही होने वाला है. इससे कुवैत में कुशल और गैर-कुशल भारतीयों को नौकनी मिलने में कठिनाई बढ़ेगी. 

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